डेंटल सर्जन भर्ती घोटाले की जांच कर रही स्टेट विजिलेंस ब्यूरो की टीम रविवार रात को भिवानी से वापस पंचकूला लौट आई। अब विजिलेंस सोमवार को आरोपी नवीन को कोर्ट में पेश करेगी। विजिलेंस का प्रयास होगा कि नवीन का दोबारा से रिमांड लिया जाए, ताकि गिरोह के अन्य सदस्यों की कुंडली खंगाली जा सके।
वहीं विजिलेस की टीम सोमवार को हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन के कार्यालय का रिकॉर्ड भी खंगाल सकती है। बता दें कि स्टेट विजिलेंस ब्यूरो टीम ने रविवार को भिवानी के कोंठ गांव में दबिश दी थी। यह गांव नवीन का है। विजिलेंस ने नवीन के घर से कुछ डेंटल फार्म और रोल नंबर बरामद किए थे। मामले में एचपीएससी के डिप्टी सेक्रेटरी अनिल नागर और अश्विनी शर्मा भी आरोपी हैं।
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एचसीएस अनिल नागर और उसके सहयोगी अश्वनी शर्मा का रिमांड मंगलवार को पूरा होगा। रिमांड पूरा होने से पहले पुलिस एक बार फिर से सोमवार को दोनों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ कर सकती है, ताकि गिरोह का चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय से जुड़े कनेक्शन का पता चल सके। तीनों आरोपियों ने चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय से जुड़े पवन और देवेंद्र रावत के नाम उजागर किए थे।
विजिलेंस की टीम को भिवानी में नवीन के घर से जो रोल नंबर और डेंटल सर्जन के फार्म मिले हैं, वे नवीन ने अश्विनी शर्मा को दिए थे। 11 में से 8 बच्चे पास हो गए थे। हिसार के दौलतपुर निवासी नरेंद्र की शिकायत में जिस उम्मीदवार दलबीर सिंह का डेंटल सर्जन का पेपर पास करवाने के लिए रोल नंबर दिया था, उसका भी फार्म मिला है। इस रोल नंबर का डेंटल सर्जन का पेपर पास करवाने के लिए नवीन ने 20 लाख रुपए थे।
एचसीएस अनिल नागर, नवीन और अश्विनी शर्मा को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की थी। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने कबूला कि एचसीएस परीक्षा पास करवाने के लिए कुल 16 नाम दिए थे। इसमें से पांच पास हुए थे। 10 नाम नवीन ने दिए थे। पांच नाम पवन और एक नाम देवेंद्र रावत ने दिया था। पवन और देवेंद्र रावत का लिंक भिवानी के चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय के साथ है।
डेंटल सर्जन भर्ती में ओएमआर शीट खाली छोड़ने वालों का चयन करने के मामले में स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन के डिप्टी सेक्रेटरी अनिल नागर को 90 लाख कैश के साथ उनके कार्यालय से पकड़ा था। यह पैसा अनिल नागर का सहायक झज्जर निवासी अश्विनी देने कपहुंचा था। क्योंकि विजिलेंस ने उसके घर से करीब एक करोड़ आठ लाख रुपये की राशि बरामद की थी। उसने खुलासा किया था
कि इसमें से 90 लाख अनिल नागर के हिस्से के हैं। विजिलेंस के कहने पर वह पंचकूला कार्यालय में पैसे देने के लिए पहुंचा और अनिल नागर ने जब उससे कैश लिया तो विजिलेंस ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। मामले में सबसे पहले 17 नवंबर को भिवानी निवासी नवीन को पंचकूला में ही 20 लाख लेते पकड़ा था।