भारत समेत दुनिया में कीमतें बढ़ रही हैं। कई देशों में डिमांड के मुताबिक समान नहीं मिल रहा है। अंतरराष्ट्रीय कंपनियां और ट्रेड एसोसिएशन ने आशंका जताई है कि ऐसी स्थिति लंबे समय तक रह सकती है। हालात सुधरने में सालों लग सकते हैं।
अमेरिका के लेबर डिपार्टमेंट की रिपोर्ट में कहा गया कि अक्टूबर में देश में महंगाई दर बढ़कर 6.2% हो गई। वहीं, भारत के नेशनल स्टैटिकल ऑफिस के मुताबिक हमारे देश में भी महंगाई दर बढ़कर 4.5% हो गई।
वो दर है जिसमें एक तय समय के दौरान चीजों का दाम बढ़ने या घटने का पता चलता है। जैसे भारत में महंगाई की गणना सालाना आधार पर होती है। यानी, अगर किसी महीने महंगाई दर 10% रहती है तो इसका मतलब ये हुआ कि पिछले साल उसी महीने के मुकाबले इस साल चीजों के दाम 10% बढ़ गए हैं। आसान भाषा में अगर किसी चीज का दाम पिछले साल 100 रुपए था तो 10% महंगाई दर का मतलब उसका दाम इस साल 110 रुपए हो गया। महंगाई दर बढ़ने पर लोगों की क्रय शक्ति घटती है।
Bank Jobs | Data Entry Jobs |
10th Pass Jobs | 12th Pass Jobs |
Railway Jobs | Clerk Jobs |
PSU Jobs | India Free Job Alert |
भारत में महंगाई दर 6.2% होने पर भले दाम बहुत ज्यादा नहीं बढ़ते हों, लेकिन अमेरिका में पिछले तीन दशक में ये महंगाई दर का सबसे बड़ा आंकड़ा है। एक और बात अमेरिका के फेडरल रिजर्व, US सेंट्रल बैंक ने महज 2% की महंगाई दर का लक्ष्य रखा था। इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि अमेरिका में बढ़ी कीमतें कितनी अप्रत्याशित हैं।
2020 के बाद अमेरिका में हर महीने महंगाई दर तेजी से बढ़ रही है। अमेरिकी अर्थशास्त्री और पॉलिसीमेकर कोरोना की वजह से लंबी मंदी से बचने की कोशिशों पर काम कर रहे थे। इसके बीच बढ़ती महंगाई ने इन सभी को चौंका दिया है।
महंगाई तब बढ़ती है जब या तो डिमांड बढ़े या फिर सप्लाई कम हो जाए। अमेरिका में बढ़ती महंगाई के पीछे दोनों वजहें हैं। कोरोना के खिलाफ तेजी से वैक्सीनेशन होने की वजह से अमेरिका की इकोनॉमी तेजी से सुधरी है।
उम्मीद से तेजी से हुए इस सुधार की वजह से डिमांड में तेजी आई है। इसके साथ ही सरकार के पैकेज से की वजह से उपभोक्ताओं को राहत मिली। कोरोना में जिन लोगों की नौकरी गई उन्हें भी इस पैकेज ने काफी मदद की। इन सभी ने डिमांड को बढ़ाया।
डिमांड में इस रिकवरी के लिहाज से सप्लाई नहीं बढ़ सकी। डिमांड सप्लाई का ये गैप महंगाई बढ़ने की वजह बन गया। कुछ एक्सपर्ट्स का सोचना है कि कोरोना के दौर में की गई सरकारी मदद ने महंगाई की स्थिति को बिगाड़ने का काम किया है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि उत्पादन के लिए जरूरी चीजों की कमी है। इस वजह से नया सामान बाजार में आ ही नहीं रहा। सामान की कमी के चलते कीमतें बढ़ रही हैं।
कोरोना महामारी की वजह से 2020 में अमेरिका समेत पूरी दुनिया में लॉकडाउन जैसी स्थितियां बनीं। दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं चरमरा गईं। कई कंपनियों ने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। प्रोडक्शन में काफी कटौती कर दी।
दुनियाभर में फैली इन कंपनियों की सप्लाई चेन पर भी असर पड़ा। आम समय में भी सप्लाई चेन को बहाल करने में समय लगता है। कोरोना की वजह से लंबे समय तक प्रभावित रही सप्लाई चेन के नॉर्मल होने में समय लग रहा है। कोरोना से प्रभावित हुई इकोनॉमी जिस तेजी से रिकवर हुई उस तेजी से सप्लाई चेन रिकवर नहीं हो सकी। डिमांड और सप्लाई में बढ़ते अंतर ने महंगाई को बढ़ा दिया।
दुनियाभर की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ती महंगाई ने चौंकाया है। चाहे जर्मनी हो या चीन या फिर जापान ये सभी देश इस वक्त महंगाई से परेशान हैं। जैसे जापान में प्रोडक्शन प्राइज इडेक्शन 40 साल के उच्चतम स्तर पर है।