स्कूली शिक्षा के लेवल को सुधारने और उन्हें इन्फ्रास्ट्रक्चर के स्तर पर मजबूत बनाने के लिए सरकार वैसे तो कई जरूरी कदम उठा रही है. लेकिन इनमें जो सबसे महत्वपूर्ण है वो सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों के साथ जोड़ने की योजना है.
इस योजना के तहत प्रत्येक सरकारी स्कूल को किसी प्राइवेट स्कूल के साथ संबद्ध किया जाएगा ताकि दोनों आपस में भागीदारी कर एक-दूसरे के संसाधनों का इस्तेमाल करें और एक-दूसरे के बेहतर कामकाज को भी अपना सकें.
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद स्कूली शिक्षा का स्तर उपर उठाने के लिए दूसरा जो अहम कदम उठाया गया है ,वह विद्यांजलि योजना का नया चरण है. इस योजना के तहत कोई भी शिक्षित या हुनरमंद व्यक्ति अब स्वयंसेवक के रूप में स्कूलों के साथ जुड़कर नई पीढ़ी के भविष्य को संवारने में मदद कर सकेगा.
इसमें रिटायर टीचर्स, खेल जगत से जुड़ी प्रतिभाएं, रिटायर अधिकारी आदि में से कोई भी हो सकता है. हालांकि इसके लिए उन्हें पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा और साथ ही किस क्षेत्र में निपुणता है ,उसकी जानकारी देनी होगी. इसके आधार पर जरुरतमंद स्कूल ऐसे लोगों को खुद ही अपने यहां बच्चों की कक्षाएं लेने के लिए आमंत्रित करेंगे.
सरकार की इस पहल के बाद अब तक करीब पांच हजार लोगों ने स्वयंसेवक के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया है. पढ़ाने के साथ-2 यें लोग स्कूलों को जरुरी संसाधन भी मुहैया करवा सकते हैं. अब तक करीब 20 हजार स्कूलों में से 12 हजार स्कूलों को इन स्वयंसेवकों द्वारा मदद भी दी जा चुकी है.
लैस होना जरूरी
हालांकि सरकार इस मुहिम में तेजी लाने के प्रयास के तहत लोगों से आगे आने की अपील कर रही है. इसके साथ ही सरकार इस मुहिम को गांव की शान से भी जोड़ने की योजना बना रही है,ताकि इन स्कूलों से पढ़कर निकलने वाला व्यक्ति स्कूलों की बेहतरी में और अधिक योगदान दें सकें
मौजूदा समय में देश के सरकारी स्कूलों की अपनी पक्की इमारतें तो है लेकिन ज़रुरी संसाधनों का आज भी कहीं अभाव है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्कूल में सभी जरुरी संसाधनों का होना बहुत आवश्यक है.